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खड़गपुर डिवीजन ने ब्रॉड गेज विद्युतीकरण में हासिल किया 100% का टारगेट

  • पश्चिम मध्य रेलवे के बाद 100% विद्युतीकरण हासिल करने वाला दक्षिण पूर्व रेलवे दूसरे नंबर पर

KHARAGPUR : खड़गपुर डिवीजन ने पूरे ब्रॉड गेज नेटवर्क के 100% विद्युतीकरण का महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है. यह बात खड़गपुर के डीआरएम एमएस हाशमी ने कही.
मंडल प्रशासन की ओर से आयोजित प्रेस मीट में उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेलवे बनने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है और 2030 से पहले “शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक” बनने की ओर बढ़ रहा है.

खड़गपुर डिवीजन ने सभी ब्रॉड गेज मार्गों (774.4 रूट किलोमीटर) पर 09.02.2022 को 100% रेलवे विद्युतीकरण हासिल किया था. खड़गपुर मंडल के पूरे रूपसा-बंगरीपोसी खंड के विद्युतीकरण कार्य के पूरा होने के साथ, मंडल ने अपने कुल रूट किलोमीटर के 100% विद्युतीकरण का मील का पत्थर हासिल कर लिया है. पश्चिम मध्य रेलवे के बाद 100% विद्युतीकरण हासिल करने वाला दक्षिण पूर्व रेलवे दूसरा क्षेत्रीय रेलवे है.

रूपसा-बंगरीपोसी (89 किमी) विद्युतीकरण परियोजना वर्ष 2018-19 में 94.89 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत की गई थी. रूपसा-भंजपुर खंड (55 किमी) का विद्युतीकरण कार्य 30.03.2021 को पूरा किया गया.परियोजना के शेष हिस्से यानी भंजपुर-बंगरीपोसी (34 किमी) का विद्युतीकरण कार्य 09.02.2022 को पूरा कर लिया गया था.

1992.90 ट्रैक किलोमीटर में से 98.55% (1882.67 TKM) खड़गपुर मंडल में विद्युतीकृत किया जा चुका है. शेष ट्रैक किलोमीटर के विद्युतीकरण की लक्ष्य तिथि 30 जून, 2023 है.
खड़गपुर मंडल, जो अब सभी ब्रॉड गेज मार्गों पर पूरी तरह से विद्युतीकृत है, ने कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने में मदद की है और इससे सालाना औसत 19.24 करोड़ रुपये की बचत भी होगी. रेलवे विद्युतीकरण की गति, जो पर्यावरण के अनुकूल है और प्रदूषण को कम करती है, 2014 के बाद से 9 गुना गति से बढ़ी है. रेलवे ने ब्रॉड गेज मार्गों के विद्युतीकरण की योजना बनाई है, जिससे डीजल कर्षण को समाप्त करने में मदद मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप इसके कार्बन फुटप्रिंट और पर्यावरण प्रदूषण में महत्वपूर्ण कमी आएगी. इस अवसर पर खड़गपुर के सीनियर डीसीएम राजेश कुमार आदि उपस्थित थे

विद्युतीकरण के लाभ 

• पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का साधन
• आयातित डीजल ईंधन पर निर्भरता कम हुई, जिससे कीमती विदेशी मुद्रा की बचत हुई और कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी आई
• कम परिचालन लागत
• इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की उच्च ढुलाई क्षमता वाली भारी मालगाड़ियों और लंबी यात्री ट्रेनों की ढुलाई से थ्रूपुट में वृद्धि हुई
• कर्षण परिवर्तन के कारण अवरोधन को समाप्त करके अनुभागीय क्षमता में वृद्धि

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