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जबलपुर में पास के दुरुपयोग में फंसे सीटीआई, झांसी में सीटीआई पर 19 लाख का डेबिट

  • रेलवे कॉमर्शियल विभाग में भ्रष्टाचार पर विजिलेंस व टीआईए की कार्रवाई से अफरा-तफरी
  • पश्चिम मध्य रेलवे और नार्थ सेंट्रल रेलवे में भ्रष्टाचार के मामले में हो सकती है बर्खास्तगी की र्कावाई

रेलहंट ब्यूरो, भोपाल

रेलवे बोर्ड के तमाम कड़े दिशा-निर्देश और नियमों को तोड़मरोड़ कर अपने अनुकूल बनाने और भ्रष्टाचार में संलिप्त चंद रेलकर्मियों के कारण ईमानदार रेलकर्मियों की कार्यप्रणाली को भी शक की नजरों से देखा जाता रहा है. वह भी ऐसे समय में जब मुंबई के कुछ टिकट निरीक्षकों ने निर्धारित अवधि में करोड़ों का राजस्व वसूलकर रिकार्ड कायम कर दिखाया है. ताजा उदाहरण कामर्शियल विभाग के दो सीटीआई (मुख्य टिकट निरीक्षक) की कार्यप्रणाली को लेकर सामने आया है जिसमें पश्चिम मध्य रेलवे के अंतर्गत जबलपुर में तैनात एक सीटीआई ड्यूटी पास का दुरुपयोग में फंस गये हैं तो नार्थ सेंट्रल रेलवे के उरई स्टेशन पर तैनात एक सीटीआई को 80 ईएफडी बुक गायब करने के मामले में 19 लाख रुपये का डेबिट किया गया है. घटना झांसी रेलमंडल की है. जांच कर रहे टीआईए ने सीनियर डीसीएम, झांसी को दी अपनी रिपोर्ट में सीटीआई आरके साक्या के द्वारा 15 साल तक उरई स्टेशन पर तैनाती के दौरान एक करोड़ से अधिक का रेलवे राजस्व की हेराफेरी की आशंका जतायी है.

अब आते है पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर स्टेशन पर तैनात सीटीआई के ड्यूटी पास पर अवकाश की अवधि में यात्रा करने का मामला सात माह बाद विजिलेंस के सामने आया है. ड्यूटी कार्ड पास का दुरुपयोग करने के मामले में विजिलेंस ने जबलपुर के सीटीआई पर कार्रवाई शुरू कर दी है. विजिलेंस ने आरक्षण कराने के लिए दिये गये रिजर्वेशन फार्म, रिजर्वेशन चार्ट को जब्त कर ट्रेन के कोच कंडक्टर और सीटीआई का बयान दर्ज किया है. बयान में कोच कंडक्टर विकास नन्दनवार ने यह माना है कि सीटीआई ने ट्रेन में यात्रा की जबकि सीटीआई (डी) एके रावत ने अपने बयान में बताया है कि यात्रा करने वाला सीटीआई उस अवधि में छुट्टी पर था. इससे साफ जाहिर है कि ड्यूटी पास पर अवकाश के समय जबलपुर से भोपाल और भोपाल से जबलपुर की यात्रा की गयी है.

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घटना 28 जून 2019 की है जब सीटीआई अवकाश पर थे. उसी दिन आरक्षण ऑफिस से ऑन ड्यूटी कार्ड पास पर जबलपुर से भोपाल का रिजर्वेशन 22191 ओवर नाईट एक्सप्रेस के एसी कोच में बर्थ 26 पर कराया गया. इस कोच पर सीटीआई ने भोपाल तक यात्रा की. विजिलेंस जांच में यह बात सामने आयी कि सीटीआई ने ट्रेन नंबर 22192 ओवर नाईट एक्सप्रेस से ही भोपाल से जबलपुर तक वापसी दूसरे दिन 29 जून 2019 को की है. उनका आरक्षण ए वन कोच में बर्थ नंबर 12 था. सीटीआई का कार्ड पास 34801 है जिस पर यह आरक्षण कराया गया. इसे रेलवे नियमों के प्रतिकूल मानकर विजिलेंस टीम जांच कर रही है.

पश्चिम मध्य रेलवे विजिलेंस की अब तक की जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि अवकाश की अवधि में सीटीआई ने ड्यूटी कार्ड पास का दुरुपयोग कर आरक्षण कराया और यात्रा भी की. इसका ब्योरा आरक्षण फार्म और चार्ट से मिल गया है. रेलवे के रनिंग कर्मियों के लिए ऑन ड्यूटी कार्ड पास पर्सनल विभाग से जारी किये जाते है. इसका उपयोग सिर्फ डयूटी के समय ही करने का नियम है. अन्य तरह की यात्रा इस पास पर पूरी तरह वर्जित है. ऐसा करने पर इसे सर्विस रूल के खिलाफ माना जाता है और ऐसी स्थिति में बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकती है. इस मामले की जांच में विजिलेंस भी पूरी तरह गोपनीयता बरत रहा है. हालांकि कुछ सोशल साइट और वेबसाइट पर यह सूचना प्रकाशित की गयी है जिसमें विजिलेंस जांच में सीटीआई के कार्ड पास के दुरुपयोग में पकड़े जाने की सूचना है.

दूसरी ओर नार्थ सेंट्रल रेलवे के झांसी मंडल के उरई स्टेशन पर तैनात सीटीआई आरके साकया पर वर्ष 2018-19 के दौरान 80 ईएफटी बुक नहीं जमा कराने का आरोप है. उन्होंने यह बुक नहीं जमा कराया है जिसमें पांच बुक पर जुर्माना भी काटा गया है. टीआईए की जांच में यह बात सामने आयी है कि वित्तीय वर्ष में सीटीआई ने कुल 80 ईएफटी बुक लिया जिसका कोई ब्योरा उन्होंने जमा नहीं कराया है न ही राशि ही रेलवे को सुपूर्द की है. चार जांच के दौरान बार-बार रिमाइंडर देने के बावजूद सीटीआई ने टीआईए के सामने दस्तावेज पेश नहीं किये. इसके बाद सीटीआई पर 19,47,825 रुपये यानी कुल 19 लाख रुपये का डेबिट किया गया है. सीनियर डीसीएम को भेजी अपनी रिपोर्ट में उरई के टीआईए ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि पूर्व में डीसीएम को पूरी जानकारी होने के बावजूद सीटीआई के खिलाफ कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया जिसके बाद यह बड़ा गोलमाल सामने आया है.

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सीनियर टीआईए एम के टाकुरानी ने सीनियर डीसीएम को भेजी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अप्रैल 2018 से सितंबर 2019 के बीच 19,47,825 रुपये सरकारी राजस्व की क्षति हुई है. उन्होंने आशंका जतायी है कि यह गोलमाल इससे बड़ा करोड़ों में जा सकता है क्योंकि यही सीटीआई बीते 15 साल से उरई स्टेशन पर तैनात है. उन्होंने गोलमाल के मामले में डिटेज जांच की जरूरत बतायी है.

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