देश-दुनिया

यह जो है खड़गपुर…!!! अंग्रेजों के बसाये इस शहर में आये लोग इसी के होकर रह गये

  • विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान, वृहतर रेलवे जंक्शन व वर्कशाप समेत गर्व करने लायक बहुत कुछ है शहर के पास 
  • दिल का दायरा इतना बड़ा कि देश का हर प्रदेश शहर के अलग-अलग मोहल्लों में बसता है

तारकेश कुमार ओझा

एक जिले के दो शहर. भौगोलिक नजरिए से कहें तो कंसावती नदी के दो छोर पर बसे दो जुड़वा शहर. लेकिन दोनों शहरों की तासीर बिल्कुल अलग . एक राम है तो दूसरा लखन. मेदिनीपुर मतलब स्वतंत्रता संग्राम की धरोहरें, गौरवशाली अतीत , विरासत , शासन , सभ्यता और संस्कृति… जबकि खड़गपुर माने खिलदंड़ स्वभाव वाला बेलौस शहर. कहने को तो आइआइटी सरीखे विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान, वृहतर रेलवे जंक्शन व वर्कशाप समेत गर्व करने लायक इस शहर के पास भी बहुत कुछ है.

आइआइटी से निकले सुंदर पिचाई हों या रेलवे के महेन्द्र सिंह धौनी , सभी ने यहीं अपने पंखों को पैना किया और अपने-अपने आकाश में ऊंची उड़ान भरी. कुछ शहर लौटे तो कुछ नहीं लेकिन खड़गपुर ने कभी शिकवा नहीं किया. क्षेत्रफल इतना छोटा कि आप साइकिल से समूचे शहर का चक्कर लगा आएं. लेकिन दिल का दायरा इतना बड़ा कि देश का हर प्रदेश शहर के अलग-अलग मोहल्लों में बसता है. किसी रेल कॉलोनी में चले गए तो लगेगा दक्षिण के किसी राज्य से होकर लौटे हों तो पुराने मोहल्लों में आपको हिंदी पट्टी सा नजारा देखने को मिलेगा. कि प्रदेश के लोग इस शहर में नहीं है. कहते हैं जब अंग्रेजों ने इस शहर को बसाया तो देश के अमूमन हर प्रदेश से कामगार यहां आए. लेकिन समय के साथ सब अपने मूल को भूल गए और पूरी तरह से इसी शहर के होकर रह गए.

युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही जब घर – परिवार की भारी जिम्मेदारी सिर पर आ गई तो एकबारगी लगा कि दिल्ली मुंबई या गुजरात के लाखों कामगारों में अपना नाम भी लिखवाना ही पड़ेगा. लेकिन फिर अंतर आत्मा चीख उठी… कौन जाए … छोड़ कर खड़गपुर की गलियां… जीया है यहां तो मरेंगे भी यहीं… न अपना शहर छोड़ेंगे न अपनों को. फिर दूध बेचने से लेकर अखबार की हॉकरी की और फुटपाथ पर बैठ कर पत्र – पत्रिकाएं भी बेंची. लेकिन शहर नहीं छोड़ा तो नहीं छोड़ा. रेलवे की नौकरी से रिटायर हुए पिताजी ने कहा आ .. लौट चलें अपने देश (प्रदेश) … मगर अपन ने दो टुक जवाब दे दिया… ना बाबा ना .. नहीं जाना यह शहर छोड़ कर. क्योंकि खड़गपुर की कई खासियतें हैं. 10 रुपये के रेंज में इडली – दोसा से लेकर कचौड़ी – पकौड़ी तक आपको शायद यहीं मिलेगी. हर पूजा व पर्व शहर में इतनी गर्मजोशी से मनाया जाता है कि हर गम – शोक हवा.

… जीया है यहां तो मरेंगे भी यहीं… न अपना शहर छोड़ेंगे न अपनों को. फिर दूध बेचने से लेकर अखबार की हॉकरी की और फुटपाथ पर बैठ कर पत्र – पत्रिकाएं भी बेंची. लेकिन शहर नहीं छोड़ा तो नहीं छोड़ा.

कहते हैं 70 – 80 के दशक तक शहर की अमूमन हर गलियों में दादा हुआ करते थे. लेकिन समय के साथ उनका रूपांतरण होता गया. अलबत्ता हर किसी के लिए यहां भैया या गुरु का संबोधन तय है. बोलचाल के मामले में शहर की विशिष्ट शैली है. जिसमें स्त्रीलिंग का इस्तेमाल बहुत ही कम होता है. शहर की तासीर ही ऐसी है कि नौकरी में रहते हुए खड़ूस पुलिस वाला भी आया – गया सीख ही लेता है. बचपन में लिखने का शौक चढ़ा तो कसी तरह थोड़ा – बहुत कागज काला करना सीख भी गया. लेकिन बोलचाल में लहजे को ले मैं हमेशा फिक्रमंद रहता हूं. क्योंकि उसमे खड़गपुरिया टच आ ही जाता है. छोटा होते हुए भी खड़गपुर कोस्मोपॉलिटन व सर्वमित्र है, जहां हर किसी के लिए जगह है. पुरानी बनाम नई पीढ़ी का द्वंद यहां भी दूसरे शहरों जैसा ही है.

उस रोज अरोरा सिनेमा के पास मिला बुजुर्ग इसी द्वंद्व में उलझा नजर आया. पूछते ही शुरू हो गया… आजकल का लड़का लोग को क्या बोलेगा बाबू… मैं बचपन में ये शहर आके कितना स्ट्रगल किया … तब जाके बच्चा लोग को सेटेल किया… लेकिन आजकल का लड़का लोग तो खाली मोबाइल और बाइक का पीछे पागल है. घर में हर आदमी मोबाइल घांटते रहता… किसी को किसी से बात करने का तो छोड़ो किसी का तरफ देखने का भी टाइम नहीं. मालूम होता सब का दिमाग खराब हो गिया …. हालांकि द्वंद्व के बावजूद स्थिति मेट्रोपॉलिटन जैसी नहीं हुई है. यहां अब भी अड्डेबाजी और दूसरी बातों के लिए लोगों के पास समय है. मिलनी सिनेमा बंद होने के बावजूद मलिंचा रोड की रौनक जस की तस कायम है तो भीड़भाड़ के बाद भी गोलबाजार की धमक अब भी बनी हुई है. बंगला साइड समेत रेल कॉलोनियों में पहले जैसा सुकून है. इंदा व डीवीसी से लेकर तालबागीचा , प्रेमबाजार या सलुवा तक का विस्तार जारी है. कुल मिला कर दिल बोले … यह जो है खड़गपुर….

Spread the love
Click to comment

You May Also Like

रेल यात्री

PATNA.  ट्रेन नंबर 18183 व 18184 टाटा-आरा-टाटा सुपरफास्ट एक्सप्रेस आरा की जगह अब बक्सर तक जायेगी. इसकी समय-सारणी भी रेलवे ने जारी कर दी है....

न्यूज हंट

बढ़ेगा वेतन व भत्ता, जूनियनों को प्रमोशन का मिलेगा अवसर  CHAKRADHARPUR.  दक्षिण पूर्व रेलवे के अंतर्गत चक्रधरपुर रेलमंडल पर्सनल विभाग ने टिकट निरीक्षकों की...

रेल यात्री

JASIDIH. मोहनपुर-हंसडीहा-गोड्डा नई रेलखंड पर बुधवार 6 मार्च से देवघर-गोड्डा के बीच पहली 03786/03785 देवघर-गोड्डा डीएमयूट्रेन का परिचालन शुरू हो गया. भाजपा सांसद डॉ....

न्यूज हंट

रुटीन तबादलों का रास्ता हुआ साफ, डीजी/आरपीएफ ने जवान से लेकर एएससी तक का रखा ध्यान    Transfer System Changed In RPF. देश भर में...

Rail Hunt is a popular online news portal and on-going source for technical and digital content for its influential audience around the Country. Dr. Anil Kumar, Mannaging Editor, Contact with whatsapp 9905460502, mail at editor.railhunt@gmail.com, railnewshunt@gmail.com.

Exit mobile version