देश-दुनिया

रेलवे के निजीकरण की बात संसद में नहीं सिर्फ अखबारों में, दूरी पैदा कर रही झूठी खबरें : चेयरमैन

  • आँल इंडिया रेलवे मेंस फडरेशन के 95वें वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने निजीकरण पर रखी राय
  • रेलवे यूनियन और रेलकर्मियों को भरोसे में लेने का प्रयास किया, लेकिन हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सके, घूमाकर रखी बात

श्रीनिवास बाला, रेलहंट ब्यूरो, चैन्नई

रेलवे में निजीकरण और निगमीकरण की चर्चाओं के बीच चेन्नई में आयोजित आँल इंडिया रेलवे मेंस फडरेशन के 95वें वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने रेलवे के निजीकरण को कोरी अफवाह करार देते हुए सारा ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया. चेयरमैन विनोद यादव ने कहाकि रेलमंत्रालय और रेलकर्मचारियों के बीच झूठी खबरें दूरी पैदा कर रही हैं, उन्होने कहाकि अखबारों में रेल से जुड़ी कई ऐसी खबरें छपती हैं, जिसकी जानकारी रेलवे बोर्ड का चेयरमैन होने के बाद भी उन्हें नहीं होती है. श्री यादव ने कहाकि रेलमंत्री कई बार संसद में साफ कर चुके हैं कि रेल का निजीकरण और निगमीकरण नहीं होगा, सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है, इसके बाद भी रेलकर्मचारी अखबारों की खबरों पर भरोसा कर बेवजह तनाव में हैं. चेयरमैन ने समझाने की कोशिश की और कहाकि भारतीय रेल में सबकुछ ठीकठाक है.

निजीकरण और निगमीकरण पर सफाई देते हुए चेयरमैन ने धूमा-फिराकर अपनी बात कही. कहा कि हम रोजाना 20 हजार ट्रेनों का संचालन करते हैं, इसमें गिनती की चार पांच ट्रेनों का आपरेशन प्राईवेट लोगों को दिया गया है, वो भी रेल की कामर्शियल जरूरतों को पूरा करने के लिए, इससे घबराने की जरूरत नहीं है. चेयरमैन ने कहाकि सच ये है कि पिछले दो तीन वर्षों में रेल की सूरत बदली है, हमने साफ सफाई और ट्रेनों की संरक्षा और सुरक्षा के साथ ट्रेन के समय पर चलने में काफी सुधार किया है. हालांकि एनपीएस, रायबरेली कोच फैक्ट्री के निगमीकरण, 30-55 में सेवानिवृत्ति के मुद्दों पर चेयरमैन रेलकर्मियों को संतुष्ट कर पाने में विफल रहे.

अधिवेशन में एआईआएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने चेयरमैन की मौजूदगी में यह जरूर कहा कि अगर रेलवे के निजीकरण की कोशिश की गई तो रेलकर्मचारी रेल का चक्का जाम करने को मजबूर होंगे, यह एआईआरएफ और हमारे लाखों रेलकर्मचारियों का फैसला है. जिसका जवाब चेयरमैन विनोद यादव ने रेल के निजीकरण को सिर्फ अखबार की सुर्खियां बताकर टाल गये. कहाकि ऐसा कोई भी निर्णय नहीं हुआ है, खुद रेलमंत्री ये बाद संसद में कह चुके हैं. अधिवेशन में आईटीएफ के महामंत्री स्टीफेन काँटन ने भी एआईआरएफ को आश्वस्त किया कि निजीकरण की लड़ाई में वो अकेले नहीं है, बल्कि दुनिया आपके साथ खड़ी रहेगी.

इन सवालों पर निरुत्तर दिखे चेयरमैन विनोद कुमार यादव 

  1. एनपीएस वापस लिये जाने पर कोई आश्वासन नहीं दिया
  2. 30 साल की सेवा अथवा उम्र 55 में नौकरी की समीक्षा
  3. प्रिटिंग प्रेस को बंद किए जाने का एकतरफा निर्णय
  4. रायबरेली कोच फैक्टरी के निगमीकरण की पहल

अधिवेशन में खुले सत्र में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने वार्षिक रिपोर्ट रखने के पहले कहा कि यहां खड़ा कोई भी रेलकर्मी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है. रेल को चलाने के लिए चार से पांच सौ कर्मचारी हर साल अपनी जान गवां देते हैं, बावजूद उनके साथ हो रहा सलूक शर्मनाक है. साल भर में जितने हमारे रेलकर्मचारी भाई शहीद हो जाते हैं, उतना तो सेना में भी शहीद नहीं होते. निजीकरण और निगमीकरण के खिलाफ चल रही नारेबाजी के बीच महामंत्री ने कहाकि घबराने की जरूरत नहीं है, हम सीने पर गोली खाएंगे,लेकिन भारतीय रेल का निजीकरण नहीं होने देंगे. इस अधिवेशन के आखिरी दिन हम ऐसा ही संकल्प लेकर चेन्नई से लौटेंगे. निजीकरण किसी कीमत पर बर्दास्त नहीं है, इसको रोकने के लिए भले ही हमें रेल का चक्का जाम ही क्यों न करना पड़े.

महामंत्री ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो काम रेलकर्मचारी अच्छी तरह से कर रहे हैं और जिस काम के लिए भारतीय रेल में उनकी तैनाती हुई है, वो काम भी आउटसोर्स किए जा रहे हैं. एक ओर प्रधानमंत्री कहते हैं कि उनसे बेहतर रेल को कोई नहीं समझ सकता, लेकिन जब फैसले की बारी आती है तो हमेशा रेल और रेलकर्मचारियों के खिलाफ ही बात होती है. महामंत्री ने साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री और रेलमंत्री निजीकरण और निगमीकरण की बात को छोड़ रेल की तरक्की में लगें, अगर रेल के निजीकरण की कोशिश हुई तो रेल का चक्का जाम होना तय है. अधिवेशन में इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के महामंत्री स्टीफेन काँटन ने कहा कि भारतीय रेल में अच्छी संख्या में नौजवानों की टीम है जो कुशलतापूर्वक ट्रेनों का संचालन कर रहे हैं. ये नौजवान रेलकर्मचारी भारतीय रेल और एआईआरएफ के भविष्य हैं. हमें इस ताकत को समझना होगा, उन्होने कहाकि इनकी ताकत का संदेश ऊपर तक पहुंचना जरूरी है. इन्हें उन बातों के लिए लड़ना पड़ रहा है जो इनका हक है. श्री काँटन ने कहाकि अगर आप यूथ पावर को समझने से चूक गए तो इसका खामियाजा रेल को भुगतना पड़ सकता है. आईटीएफ महामंत्री ने कहाकि निजीकरण की लड़ाई में एआईआरएफ अकेले नहीं है, बल्कि दुनिया के 126 देशों के मजदूर इस लड़ाई को लड़ने को तैयार बैठे हैं. निजीकरण के खिलाफ अगर रेल कर्मचारी आंदोलित हुए तो आईटीएफ का इस आंदोलन को पूरा समर्थन रहेगा.

रेलवे बोर्ड में मेंबर स्टाफ मनोज पांडेय ने कर्मचारियों को बताने की कोशिश की किस तरह रेल प्रशासन कर्मचारियों की बेहतरी के लिए काम कर रहा है. उन्होने कहाकि वैकेंसी को भरने की कोशिश हो रही है, जिससे कर्मचारियों पर से काम के दबाव को काम किया जा सके. एआईआरएफ के कार्यकारी अध्यक्ष एन कन्हैया ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहाकि यहां मौजूद रेलकर्मचारियों के मन में क्या है, वो अच्छी तरह समझ रहे हैं. इस मामले में हम बड़ा फैसला लेने की तैयारी कर रहे हैं.

अधिवेशन के खुले सत्र में ग्लोबल यूथ आफीसर बेकर खंडूकजी, इनलैंड ट्रांसपोर्ट सचिव नोएल कार्ड, रिजनल हेड भुज, संगम त्रिपाठी , जोनल महामंत्री के एस गुप्ता, जे आर भोसले, शंकरराव, ए एम डिक्रूज, वेणु पी नायर, मुकेश माथुर, मुकेश गालव, एसएन पी श्रीवास्तव, मनोज बेहरा, आर डी यादव, पी के पाटसानी के साथ ही जोनल अध्यक्ष राजा श्री धर,आर सी शर्मा, बसंत चतुर्वेदी, एस के त्यागी, पी जे शिंदे, के श्रीनिवास, दामोदर राव के अलावा महिला नेत्री चंपा वर्मा, प्रवीना सिंह, जया अग्रवाल, प्रीति सिंह समेत तमाम लोग मौजूद थे. अधिवेशन से पहले एक रैली का आयोजन किया गया, इस रैली में सभी जोन के रेलकर्मचारियों ने काफी उत्साह के साथ हिस्सा लिया. इसमें नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन और सदर्न रेलवे के साथ ही दूसरी यूनियनों ने भी काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.

अधिवेशन के पहले दिन यूथ काॅन्फ्रेंस और सेफ्टी सेमिनार का आयोजन किया गया था.  इसमें नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन और सदर्न रेलवे के साथ ही दूसरी यूनियनों ने भी काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. यूथ कान्फ्रेंस के मुख्य अतिथि इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट फैडरेशन के महामंत्री स्टीफेन काँटन ने कहाकि एआईआरएफ दुनिया की सबसे बड़ी और ताकतवर ट्रेड यूनियन है, ऐसे फैडरेशन के वजह से ही आज दुनिया में ट्रेड यूनियन मूवमेंट जिंदा है. एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि ये सही है कि आज हमारे सामने गंभीर चुनौती है, देश में मजदूर विरोधी सरकार है, वो हर हाल में भारतीय रेल को बेचना चाहती है, लेकिन आज तक रेलवे बेचे जाने से जो बची हुई है, वो आपकी ताकत की वजह से बची है और आगे भी आपकी ताकत की ही वजह से रेल बची भी रहेगी. महामंत्री ने कहाकि हम सीने पर गोली खाएंगे, हम हर कुर्बानी देने के तैयार रहेंगे, लेकिन रेल को बिकने नहीं देगें. कल अधिवेशन का अंतिम दिन होगा.

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