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पूर्व मध्य रेलवे में भी सौर ऊर्जा से ट्रेनों को दौड़ने की तैयारी, ईसीआर में भी चल रहा प्रयास

तारकेश कुमार ओझा, कोलकाता

बिजली की आवश्यकता को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त करने में जुटा रेलवे का पूरा जोर सोलर यानी सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर आकर ठहर गया है. स्टेशनों को सौर ऊर्जा से प्रकाशित करने के बाद नया प्रयास ट्रेनों को चलाने का है. इसके लिए कई जोन में पहल की गयी है. ईस्ट सेंट्रल रेलवे पहले ही इस मामले में गंभीरता से पहल कर रहा है. इसके लिए रेलवे की योजना रेलवे की खाली जमीन पर सोलर पैनल लगाकर बिजली का अधिक से अधिक उत्पादन करने की है ताकि रेलवे को होने वाली अधिक से अधिक जरूरत का सौर ऊर्जा से प्राप्त किया जा सके.

नयी पहल हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग के ग्रैंड कार्ड सेक्शन पर की जा रही है. यहां भी ट्रैक के किनारे पड़ी गैर उपयोगी जमीन पर रेलवे सोलर प्लांट लगायेगी. यहां से मिलने वाली बिजली को ग्रिड तक पहुंचाया जायेगा. इसके बाद उसे ट्रैन परिचालन के लिए ट्रैक्शन को भेजा जायेगा. इसके लिए धनबाद रेल मंडल के प्रधानखंता से बंधुआ स्‍टेशन के बीच लगभग 200 किमी के दायरे में अलग-अलग स्थानों को सोलर प्लांट लगाने के लिए चिह्नित किया गया है. रेलवे ने यह कार्य एनर्जी मैनेजमेंट कारपोरेशन लिमिटेड को दिया है ताकि वह इसकी योजना बनाकर इसे इम्प्लीमेंट कर सके.

इससे पहले रेलवे स्टेशनों पर सोलर पैनल लगाकर अपनी जरूरत का एक बड़ा हिस्सा बिजली उत्पादन कर रही है. इससे रेलवे को बिजली मद में भुगतान की जाने वाली बड़ी राशि की बचत हो रही. अनुमान के अनुसार धनबाद रेल मंडल में हर दिन 100 मेगावाट बिजली उत्पादन हो सकेगा. इससे रेलवे राजस्व को बचत होगी.

रेलवे तेजी से विद्युतीकरण लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. योजना है कि 2023 तक ब्राडगेज को पूरी तरह विद्युतीकरण कर लिया जाये. रेलवे का लक्ष्य जीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य को हासिल करना भी है. कार्बन का उत्सर्जन कम करने के और प्रकृति के ऊर्जा स्रोतों का अधिक से अधिक उपयोग करने के निर्देशों के तहत ही ट्रैक के किनारे खाली जमीन का इस्तेमाल सोलर प्लांट लगाकर बिजली उत्पादन करने का है.

एक अनुमान है कि देश भर में रेलवे लाइन किनारे 51 हजार से अधिक हेक्टेयर जमीन का इस्तेमाल सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए किया जायेगा. प्रस्तावित योजना में 20 गीगावाट तक सौर बिजली उत्पादन के लिए सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य है. हरियाणा के दीवाना और मध्य प्रदेश के बीना में सौर ऊर्जा से ट्रेन चलाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा चुका है. हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर यह प्रयोग कब शुरू होगा यह देखने वाली बात है. धनबाद रेलमंडल के जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश पांडे ने मीडिया को बताया कि प्रधानखंता से बंधुआ तक अप लाइन के किनारे खाली जमीन पर सोलर प्लांट स्थापित किये जायेंगे. इससे न सिर्फ रेल परिचालन के लिए वैकल्पिक ऊर्जा मिलेगी, बल्कि रेलवे का राजस्व भी बचेगा. हम पर्यावरण संरक्षण की योजना को भी आगे बढ़ायेंगे.

मालूम हो कि ईस्ट सेंट्रल रेलवे के दानापुर मंडल में सोलर प्लांट से 1.75 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन से झाझा के बीच लगभग 400 किमी तक रेलवे ट्रैक के दोनों ओर खाली पड़ी जमीन पर सोलर प्लेट लगाकर बिजली उत्पादन करने की योजना पर काम चल रहा है. सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को लेकर रेलवे की गंभीरता और तेजी को इसी बात से समझा जा सकता है कि रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों के ऊपरी हिस्सों के साथ अब खाली जमीन पर सोलर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन के लिए करोड़ों का इंवेस्टमेंट कर रही है. इसके लिए बजट में अलग से प्रावधान तक किया जा रहा है.

 

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