देश-दुनिया

आरपीएफ एसोसिएशन से रिटायर कर्मचारियों को किया बाहर

दिल्ली से सुस्मिता. आरपीएफ में आइपीएस लॉबी की आंख की किरकिरी बने यूएस झा को आखिर कानूनी रूप से ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन से बाहर कर ही दिया गया. रेलमंत्री की पहल पर 5 अक्टूबर को जारी एक आदेश में रेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त रिटायर्ड पदाधिकारियों की मान्यता समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया है. वर्ष 2012 में तत्कालीन रेलमंत्री ने रेलवे के अन्य मान्यताप्राप्त संगठनों की ही भांति आरपीएफ एसोसिएशन में भी उसके संविधान के अनुरूप अध्यक्ष एवं महामंत्री के पद पर रिटायर्ड आरपीएफ कर्मियों के चयन की अनुमति दी थी.

यूएस झा

तत्कालीन रेलमंत्री द्वारा दी गई उक्त अनुमति के दो आधार थे. एक, यह कि कार्यरत आरपीएफ कर्मी आरपीएफ अधिकारियों (डीजी एवं अन्य) के समक्ष पूरी निर्भीकता और आत्मविश्वास के साथ वार्तालाप करने की स्थिति नहीं हो सकता है. दूसरा, यह कि वर्ष 2010 में ही एसोसिएशन ने अपनी वार्षिक सर्वसाधारण सभा और जनरल काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से अध्यक्ष एवं महामंत्री के पदों पर रिटायर्ड आरपीएफ कर्मियों को चयनित किए जाने संबंधी संविधान संशोधन पारित कर दिया था. इस संशोधन को रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज ने भी अनुमोदित किया था, जिसके आधार पर अब तक एसोसिएशन के उक्त दोनों शीर्ष पदाधिकारियों को जीएम और बोर्ड की बैठकों में आमंत्रित किया जाता रहा है.

उल्लेखनीय है कि एसोसिएशन के संविधान के अनुसार एसोसिएशन के किसी खास उद्देश्य अथवा नाम (शीर्षक) जैसे किसी प्रकार के बड़े बदलाव से संबंधित संशोधन को ही रेल प्रशासन (डीजी) की संस्तुति की आवश्यकता है. यानि उपरोक्त संशोधन को डीजी की संस्तुति की कोई जरूरत नहीं थी. इसका एक तात्पर्य यह भी है कि बल सदस्यों को ही यह अधिकार है कि उन्हें अपना संगठन किस प्रकार चलाना है, किसे अपना पदाधिकारी नियुक्त करना है, यह वही तय करेंगे, न कि आरपीएफ प्रशासन (डीजी). इसके अलावा रेलवे ऐक्ट की धारा 2(34) और आरपीएफ ऐक्ट की धारा 10 के अनुसार ‘आरपीएफ कर्मी’ भी पूरी तरह से ‘रेलकर्मी’ हैं. रिटायर होने के बाद भी यदि वे एसोसिएशन के किसी पद पर रहते हुए किसी प्रकार के कदाचार में दोषी पाए जाते हैं, तो उसकी भरपाई उनकी पेंशन से करने का अधिकार रेल मंत्रालय (भारत सरकार) के पास सुरक्षित है. हालांकि रेल मंत्रालय के इस कदम की निंदा स्वयं सुरक्षा बल के अधिकारी व जवान भी कर रहे है. रेल सुरक्षा बल के जवानों का कहना है कि वर्तमान व्यवस्था में लोकतांत्रिक संस्थाओं का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.

आइपीएस लॉबी के इशारे पर की गयी इस कार्रवाई को रेलवे भले ही अंतिम निर्णय मान ले लेकिन लड़ाई यही खत्म नहीं हो गयी है. आईपीएस को आरपीएफ से बाहर रखने का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में विचाराधीन है. जो निर्णायक साबित हो सकता है.

Spread the love
Click to comment

You May Also Like

रेल यात्री

JASIDIH. मोहनपुर-हंसडीहा-गोड्डा नई रेलखंड पर बुधवार 6 मार्च से देवघर-गोड्डा के बीच पहली 03786/03785 देवघर-गोड्डा डीएमयूट्रेन का परिचालन शुरू हो गया. भाजपा सांसद डॉ....

न्यूज हंट

रुटीन तबादलों का रास्ता हुआ साफ, डीजी/आरपीएफ ने जवान से लेकर एएससी तक का रखा ध्यान    Transfer System Changed In RPF. देश भर में...

रेलवे यूनियन

चक्रधरपुर रेल मंडल में पूर्व से संचालित क्वार्टर कमेटियों को बहाल करने की मांग  टाटा में रेलवे क्वार्टरों पर बाहरी लोगों का कब्जा खाली...

न्यूज हंट

Chennai Rail Coach Factory. देश में ऐसी ट्रेन कोच का वीडियो वायरल हो रहा है जो सभी सुविधाओं से युक्त है. ट्रेन के इस...

Rail Hunt is a popular online news portal and on-going source for technical and digital content for its influential audience around the Country. Dr. Anil Kumar, Mannaging Editor, Contact with whatsapp 9905460502, mail at editor.railhunt@gmail.com, railnewshunt@gmail.com.

Exit mobile version