देश-दुनिया

प्वाइंट की सफाई व ल्यूब्रिकेंटस की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग व ऑपरेटिंग संभालें

  • सिग्नल व टेलीकम्युनिकेशन विभाग ने Correction slip 143 के अनुपालन पर बढ़ाया दबाव
  • टाटा, राउरकेला, अमदाबाद, रत्लाम में एडीएसटी ने एडीइएन को भेजा नोट

नई दिल्ली. सिग्नल व टेलीकम्युनिकेशन विभाग ने रेलवे बोर्ड के आदेश का हवाला देकर इंजीनियरिंग व ऑपरेटिंग विभाग पर दबाव बढ़ा दिया है. सिग्नल विभाग की ओर से जारी की गयी नोट में इंजीनियरिंग विभाग के साथ ऑपरेटिंग विभाग के प्वाइंट मैन की भी जिम्मेदारी तय करने को कहा गया है. यह विवाद वर्षों से रेलवे ट्रैक पर प्वांइट की सफाई और ल्युब्रिकेंट्स को लेकर चला आ रहा है जिसे हमेशा से इंजीनियरिंग तथा ऑपरेटिंग विभाग, सिग्नल विभाग की जिम्मेदारी बताकर उस पर बोझ डालते रहे हैं. भारतीय रेलवे सिगनल एवं टेलीकाम मैंटेनरर्स यूनियन का कहना है कि रेलवे बोर्ड के आदेश, जी एंड एस आर और Correction slip 143 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है जिसमें संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को तीन स्लाइड चेयर प्लेट तक के स्नेहन से ही जोड़ा गया है. अन्य स्थानों पर यह जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग तथा ऑपरेटिंग विभाग की है जिसे वषों से एस एंड टी के कर्मचारियों से जबरन कराया जा रहा है.

भारतीय रेलवे संकेत एवं दूरसंचार अनुरक्षक संघ की पहल पर इस मामले में रेलवे बोर्ड स्तर से पहल की गयी है. इसके बाद टाटा, राउरकेला, अहमदाबाद, रतलाम आदि के सहायक मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंताओं ने स्पष्ट रूप से पत्र जारी कर अपने-अपने स्थानीय इंजीनियरिंग व ऑपरेटिंग  विभाग के अधिकारियों को Correction slip 143 तथा जी एडं एस आर के अनुसार कार्य इंजीनियरिंग तथा ऑपरेटिंग विभाग द्वारा किया जाना सुनिश्चित कराने को कहा है.

भारतीय रेलवे सिगनल एवं टेलीकाम मैंटेनरर्स युनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने बताया कि संगठन ने रेलवे बोर्ड में अपनी समस्याओं को रखा और वहां से जारी किये गये पत्र दिनांक 11/06/2018 का असर आज जमीनी स्तर पर दिखने लगा है. इसका लाभ निचले स्तर के कर्मचारी अनुरक्षकों एवं सहायकों को मिलेगा. नवीन कुमार के अनुसार हाल में ही दिल्ली में रेल मंत्री पीयुष गोयल के पास भी संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को रिक्स एलाउंस पर बात रखी गयी है. इसके बाद संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान रन ओवर होने वाले कर्मचारियों की तीन साल की रिपोर्ट मांगी गयी है. उन्होंने बताया कि दक्षिण पूर्व रेलवे जोन में संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को LDCE के तहत 25% सहायकों को अनुरक्षक बनने का मौका नहीं दिया जा रहा है. संकेत एवं दूरसंचार विभाग के अनुरक्षकों को भी सही समय पर प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है. इस दिशा में अब पहल की गयी है जो सार्थक संकेत हे.

वहीं गुरुवार को अहमदाबाद मंडल, पश्चिम रेलवे में भी नई Joint Inspection of Points and Crossing (JPC) जारी की गई है, जिसमें संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को तीन स्लाइड चेयर प्लेट तक के स्नेहन से जोड़ दिया गया है. इसके लिए संघ के महासचिव आलोक चन्द्र प्रकाश ने DG (S&T) का आभार जताया है. इसके अलावा अजमेर मंडल के वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंता ने भी इंजीनियरिंग विभाग को पत्र जारी कर Correction slip 143का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है.वही रतलाम मंडल के वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंता पत्र जारी किया और इसमें बताया गया है कि संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को किस तरह से फेलियर के दौरान प्रेशर बना कर काम कराया जाता है.

भारतीय रेलवे सिगनल एवं टेलीकाम मैंटेनरर्स यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार के अनुसार प्रेशर में काम के चलते संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को अपने जान से भी हाथ धोना पड़ता है. यदि रेलवे को सुचारू रूप से चलाने के लिए संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों के लिए नाईट गैंग एवं फेलियर गैंग बनाना अति आवश्यक है. यार्ड स्टिक के 2010 के अनुसार संकेत विभाग में लगभग 80 हजारों पद रिक्त हैं जिसके कारण संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों से 24 घंटे के लिए छोटे से छोटे स्टेशन पर रहने के लिए बाध्य कर दिया जाता है. 24 घंटे के लिए हेडक्वॉर्टर रहने के दौरान अपने परिवार से दूरी बनते जाते हैं. संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों अपने बच्चों को अच्छी सुविधा उपलब्ध नहीं करा पाते हैं.

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