देश-दुनिया

1934 के भूकंप में अलग हुए कोसी और मिथलांचल 84 साल बाद फिर रेलवे पुल से जुड़े

  • कोसी रेल महासेतु रेलवे की 2700 करोड़ की 12 परियोजनाओं को पीएम ने किया ऑनलाइन उद्घाटन
  • 1.9 किलोमीटर लंबे कोसी महासेतु के निर्माण में 17 साल लगे और लागत 516 करोड़ आयी

पटना से गोपाल पांडेय. 1934 के भूंकप के बाद अलग हो गये बिहार के कोसी और मिथलांचल 84 साल बाद रेलवे पुल से जुड़ गये है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को 2700 करोड़ की लागत वाली रेलवे की कुल 12 योजनाओं को ऑनलाइन शिलान्यास किया. इसमें कोसी महासेतु भी शामिल है. 1.9 किलोमीटर लंबे ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु के निर्माण में 17 साल लग गये जबकि इसकी लागत 516 करोड़ रुपये आयी है. शुक्रवार को कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किया गया.

बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित होने के ठीक पहले चुनावी रंग में रंगे इन योजनाओं के उद्घाटन में रेलमंत्री पीयूष गोयल से लेकर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय सार्वजनिक मंच से प्रधानमंत्री का यशस्वी गान करने से नहीं चूके. दोनों ने पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की और कहा कि बिहार की लोगों की चिंता करने में मोदी ने कोई कसर नहीं रख छोड़ी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेे क्या कहा, यह सुनें 

पीयूष गोयल ने कहा कि 2014 से बिहार को लेकर पीएम मोदी चिंतित रहे है. बिहार के विकास के लिए उनके भागीरथ प्रयास का असर है कि राज्य व केंद्र ने मिलकर रेलवे की कई परियोजनाओं को यहां पूरा किया. 2009 से 2014 के बीच रेलवे का बजट हर साल 1100 करोड़ रुपये हुआ करता था, पूर्वांचल की चिंताओं को लेकर पीएम मोदी की सोच को लेकर इसे तीन गुना तक बढ़ा दिया गया है. वर्तमान में रेलवे बिहार में इंफ्रास्ट्रचर पर हर साल 3400 करोड़ रुपये निवेश कर रही है.

देश में ही लोग प्रवासी कैसे हो गये : नीतीश कुमार

इस मौके पर ऑनलाइन उपस्थित बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोसी-मिथिलांचल को जोड़ने वाले इस महासेतु का लंबे समय से लोग इंतजार कर रहे थे. 84 साल के बाद यह सपना साकार हुआ. उन्होंने कहा कि अटल जी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई, लेकिन यूपीए सरकार में काम रुक गया. पीएम मोदी से मुखातिब सीएम ने कहा कि अब आप आएं हैं तो इस कारण ये काम पूरा हो पाया. नीतीश कुमार ने कुछ अन्य योजनाओं को भी शीघ्र पूरा करने का अनुरोध रेलमंत्री से किया. इस मौके पर नीतीश कुमार ने रेलवे के प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाये जाने की शब्दवाली पर चुटकी ली और कहा कि देश के लोग अपने ही देश में प्रवासी कैसे हो गये, सभी देश के ही वासी है.

1934 की प्राकृतिक आपदा में ध्वस्त हो गया था संपर्क

1887 में निर्मली और भपटियाही (सरायगढ़) के बीच मीटर गेज लिंक बनाया गया था. 1934 में विनाशकारी आपदा में यह लिंक ध्वस्त हो गया और कोसी और मिथिलांचल का संपर्क टूट गया. इसके बाद लोगों को करीब 300 किमी की दूरी ट्रेन से तय करनी पड़ रही थी. अब कोसी महासेतु और बलुआहा पुल बनने से दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किमी की दूरी मात्र 22 किमी रह गयी है. 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी मेगा ब्रिज लाइन परियोजना की आधारशिला रखी थी. ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु 1.9 किलोमीटर लंबा है और इसके निर्माण में 516 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसके निर्माण कार्य में प्रवासी मजदूरों का भी बड़ा योगदान रहा. वहीं उद्घाटन होने के कुछ दिनों के बाद ही लोग इसका फायदा उठा सकते हैं.

2009-2014 तक बिहार में रेलवे का बजट 1100 करोड़ सालाना था जो अब बढ़कर 3400 करोड़ है : रेलमंत्री

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि 2014 से बिहार को लेकर पीएम चिंतित है. इसके लिए उन्होंने भागीरथ प्रयास किया है. सबका साथ सबका विकास को लेकर राज्य व केंद्र ने मिलकर कई परियोजनाओं को पूरा किया. 2009 से 2014 के बीच रेलवे का बजट हर साल 1100 करोड़ रुपये हुआ करता था पीएम ने पूर्वांचल की चिंता पूर्वी भारत की गति को तेज करते हुए राशि तीन गुना बढ़ायी. वर्तमान में रेलवे इंफ्रास्ट्रचर के लिए बजट 3400 करोड़ रुपये निवेश रेलवे में किया जाता है. इस सेतृ के बन जाने से सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां तेज होगी.

रेलमंत्री ने कहा कि सितंबर 2020 के माह में माल ढुलाई में पिछले साल की तुलना में 14 फीसदी की वृद्धि हुई है इससे पता चलता है कि भारत की आर्थिक गतिविधि बढ़ रही है. मालगाड़ियों की स्पीड दोगुनी हुई है जिससे सामान आधे समय में पहुंच रहा है.

2700 करोड़ की 12 परियोजना

  • एक रेलवे पुल
  • दो नयी रेल लाइन
  • एक तीसरी लाइन
  • एक इलेक्ट्रिक शेड व
  • रेलखंडों का विद्युतीकरण

इस मौके पर पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के जीएम व उनकी पूरी टीम के अलावा केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, राज्यपाल फागु चौहान, सीएम नीतीश कुमार, मंत्री रामविलास पासवान, मंत्री रविशंकर, सुशील कुमार मोदी, देवाश्री चौधरी, बिहार के कई विधायक, सांसद, रेलवे के अधिकारी शामिल थे.

 

 

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