जिस शहर को बड़ी आपदाएं भी नहीं डरा सकी , उसे सचमुच कोरोना ने डरा दिया . हालांकि दिल्ली से लौटे आर पी एफ जवानों के संक्रमित होने के शुरुआती झटके के बाद खड़गपुर ने डर से उबरने की कोशिशें शुरु कर दी है . इतिहास पर नजर डालें तो लगता है इस शहर को प्रकृति से निर्भयता का वरदान मिला हुआ है . पिछले कई दशकों में अनेक आप दाएं आई , लेकिन शहर का ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ा . केवल सत्तर के दशक में जिले में आई विनाशकारी बाढ़ का पानी शहर के मुहाने तक पहुँचा था . अलबत्ता गोली – बंदूकों से खड़गपुर का सामना शुरू से होता आया है , आपसी रंजिश में लाशें भी गिरी , लेकिन यह अल मस्त शहर अपनी चाल चलता रहा .
कोरोना का आतंक शुरू होने और लॉक डाउन के दौरान भी शहरवासियों का जोर डर के बजाय नियमों के पालन और भूखों को भोजन कराने पर रहा . लेकिन दिल्ली से लौटे आर पी एफ जवानों के कोरोना संक्रमित होने की घटना ने वाकई लोगों में सिह रन दौड़ा दी . वाकये के बाद एक आरपीएफ जवान के रेल पुल से छलांग लगा कर आत्महत्या की कोशिश को भी कोरोना फोबिया का नतीजा बताया गया . अलबत्ता क्वांरीटाइन में रह रहे 56 जवानों की रिपोर्ट निगेटिव आने से लोगों को कुछ राहत मिली है . लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में जवानों का संगरोध में रहना आशंका ओं के अंधेरों को गहरा कर रहा है , लेकिन इसी के साथ डर से उबरने की कोशिशें भी जारी है . इसकी झलक सोमवार को जनजीवन में देखने को मिली , जो दो दिन पहले से बिल्कुल अलग थी. खड़गपुर रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्यिक प्रबंधक आदित्य चौधरी ने कहा कि संगरोध में रहे 56 आर पी एफ जवानों की रिपोर्ट निगेटिव आई है , यह राहत की बात है . घटनाक्रम पर नजर रखी जा रही है .
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तारकेश कुमार ओझा, पश्चिम बंगाल खड़गपुर के निवासी व वरिष्ट पत्रकार हैं. संपर्कः 9434453934, 9635221463
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